Thursday, September 3, 2009

बात लोगों के विश्वास की – अंधविश्वास की

अभी कुछ दिनों से मेरी तबियत खराब चल रही थी. ज़ाहिर सी बात है इलाज भी करवाया ही होगा मैंने. अब ठीक भी हो गया हूँ पर doctor uncle के इलाज से नहीं (uncle sorry बिलकुल सच कह रहा हूँ) बल्कि भगवान के आर्शीवाद से. अर्रे विश्वास नहीं हो रहा, बिलकुल सच कह रहा हूँ मैं, मेरी माँ यही कहती है. वैसे भी झूठ बोलना थोडा पसंद नहीं करता न मैं.

अब हुआ यूँ कि मेरी तबियत खराब हुई तो माँ ने अपने इलाज भी शुरू कर दिए. पहुँच गयी एक jewelry shop और बनवा लायी मेरे लिए सोने का हनुमान (अब उसका मूल्य नहीं बताऊंगा, भाई किसी ने अगवा कर लिया मुझे तो?). हाँ तो जैसा कि माँ ने मुझे बताया कि इस लोकेट को पहनने से मेरी सारी तकलीफें दूर हो जाएँगी. हुआ भी कुछ ऐसा ही 3 दिनों के बाद ही मैं क्रिकेट खेलने लायक हो गया. अब देखिये 7 दिनों से doctor uncle की दवा खा रहा था पर ठीक हुआ हनुमान जी की कृपा से. धन्य हो प्रभु, धन्य हो.

अब ये चमत्कार हुआ तो, पर मैं विश्वास ही नहीं कर पा रहा. कर भी नहीं सकता. जब भगवान नाम की किसी चीज़ पर विश्वास नहीं तो इन सब बातों पर विश्वास का सवाल ही उत्तपन नहीं होता.

अब भाई आप लोग ही मुझे समझाए कि कैसे एक सोने का लोकेट पहनने से या कोई अंगूठी धारण करने से कोई तकलीफ दूर हो सकती है. और अगर होती है तब तो मैं और भी भगवान को न मानूंगा. क्योंकि ऐसे भगवान का क्या फायदा जो अपने बच्चो की तकलीफों का निवारण तभी करते है जब उनके नाम का लोकेट, ताबीज या कोई अंगूठी पहनी जाये. उनके नाम का सिन्दूर लगाने से, या फिर कोई भभूत खाने से अगर problem दूर होने लगते तो फिर मैं खामख्वाह में घर से इतनी दूर अकेले रहता हूँ (जिस दर्द का वर्णन मैंने अपने पिछले पोस्ट में किया था).

कुछ लोग palmistry, numerology, kundali और न जाने किस किस पर भी भारोषा करते है. अब आज तक मैंने हाथ देखने वालों को अपना भविष्य देखते हुए नहीं देखा. और अगर वो हाथ पढ़ते है तो जब मैंने आज से लगभग 2 साल पहले अपना हाथ उन्हें अपने एक दोस्त की जिद पर दिखया था तो उन्होनो मुझे बताया क्यों नहीं कि मैं बीमार होने वाला हूँ, या फिर मेरा एक्सीडेंट होने वाला है (लगभग 15 महीने पहले मेरा एक एक्सीडेंट हुआ था).

Numerologist सलाह देते है कि नाम में letters की फेर-बदल कीजिये और अपना भाग्य बदल लीजिये. अब ये कौन मुझे समझायेगा कि मुझ हिन्दुस्तानी, जन्म से बिहारी और धर्म से हिन्दू व्यक्ति के नाम के "ENGLISH" letters में बदलाव करने से कैसे भाग्य बदल सकता है. एक और सज्जन ने कहा था "हँसता हुआ बुध", बांस का पेड़ और न जाने कितने अनगिनत सामान रखने से भी मेरे वैभव में अंतर आएगा. कुछ हो या न हो इतना तो पता है इतना कुछ खरीदने के बाद मेरे बैंक अकाउंट में जरूर अंतर आएगा.

हाँ एक बात और याद आई एक और सज्जन ने मुझे एक दो अंगूठियाँ पहनने को कहा था. अब मैं तो चलो पहन लूँ और अपना भाग्य बदल लूँ पर अपने देश के उन 15 करोड़ लोगों के भाग्य का क्या जिन्हें एक वक़्त का रोती भी नहीं मिलता. खैर समझ में आ गया हमारे देश में गरीबी का कारण, लोग न अंगूठी पहनते है, न लोकेट, नाम का letter भी नहीं बदलते. देश से तो मतलब ही नहीं रहा. सिर्फ गरीबी बढ़ने में लगे रहते है. पता नहीं कब सुधरेंगे मेरे देश के गरीब लोग.

मैं तो सरकार से अपील करूँगा कि एक कानून बना दिया जाये कि देश के हर लोगों को सोने का लोकेट, अंगूठी, कोई बांस का पेड़, कोई बुध (रोता हुआ या हँसता हुआ कोई भी), नाम का letter बदलना... वैगरह जरूरी है  अथवा ऐसे लोगों को देश निकाला दिया जाये. हाँ पर एक problem है कानून बन गया तो सबसे पहले देश से बहार मुझे जाना पड़ेगा, अब मैं ये सब मानता भी तो नहीं. क्या करूँ मान सकता भी तो नहीं. अब आप लोग ही मुझ नासमझ को कुछ समझाइये. समझायेंगे न???